महाभारतम् — 12.167.17
Original
Segmented
शापः च सु महान् तस्य दत्तः सुर-गणैः तदा कुक्षौ पुनर्भ्वाम् भार्यायाम् जनयित्वा चिरात् सुतान् निरयम् प्राप्स्यति महत् कृतघ्नो ऽयम् इति प्रभो
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शापः | शाप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
सु | सु | pos=i |
महान् | महत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
दत्तः | दा | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
सुर | सुर | pos=n,comp=y |
गणैः | गण | pos=n,g=m,c=3,n=p |
तदा | तदा | pos=i |
कुक्षौ | कुक्षि | pos=n,g=m,c=7,n=s |
पुनर्भ्वाम् | पुनर्भू | pos=n,g=f,c=7,n=s |
भार्यायाम् | भार्या | pos=n,g=f,c=7,n=s |
जनयित्वा | जनय् | pos=vi |
चिरात् | चिरात् | pos=i |
सुतान् | सुत | pos=n,g=m,c=2,n=p |
निरयम् | निरय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्राप्स्यति | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
महत् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
कृतघ्नो | कृतघ्न | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽयम् | इदम् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
प्रभो | प्रभु | pos=a,g=m,c=8,n=s |