महाभारतम् — 12.160.32
Original
Segmented
शत-योजन-विस्तारे मणि-मुक्ता-चय-आचिते तस्मिन् गिरि-वरे पुत्र पुष्पित-द्रुम-कानने तस्थौ स विबुध-श्रेष्ठः ब्रह्मा लोक-अर्थ-सिद्धये
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शत | शत | pos=n,comp=y |
योजन | योजन | pos=n,comp=y |
विस्तारे | विस्तार | pos=n,g=n,c=7,n=s |
मणि | मणि | pos=n,comp=y |
मुक्ता | मुक्ता | pos=n,comp=y |
चय | चय | pos=n,comp=y |
आचिते | आचि | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
तस्मिन् | तद् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
गिरि | गिरि | pos=n,comp=y |
वरे | वर | pos=a,g=m,c=7,n=s |
पुत्र | पुत्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |
पुष्पित | पुष्पित | pos=a,comp=y |
द्रुम | द्रुम | pos=n,comp=y |
कानने | कानन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
तस्थौ | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विबुध | विबुध | pos=n,comp=y |
श्रेष्ठः | श्रेष्ठ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ब्रह्मा | ब्रह्मन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
लोक | लोक | pos=n,comp=y |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
सिद्धये | सिद्धि | pos=n,g=f,c=4,n=s |