महाभारतम् — 12.159.39
Original
Segmented
अधर्म-कारी धर्मेण तपसा हन्ति किल्बिषम् ब्रुवन् स्तेन इति स्तेनम् तावत् प्राप्नोति किल्बिषम् अस्तेनम् स्तेन इति उक्त्वा द्विगुणम् पापम् आप्नुयात्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अधर्म | अधर्म | pos=n,comp=y |
कारी | कारिन् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
धर्मेण | धर्म | pos=n,g=m,c=3,n=s |
तपसा | तपस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
हन्ति | हन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
किल्बिषम् | किल्बिष | pos=n,g=n,c=2,n=s |
ब्रुवन् | ब्रू | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
स्तेन | स्तेन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
स्तेनम् | स्तेन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तावत् | तावत् | pos=i |
प्राप्नोति | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
किल्बिषम् | किल्बिष | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अस्तेनम् | अस्तेन | pos=n,g=m,c=2,n=s |
स्तेन | स्तेन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
उक्त्वा | वच् | pos=vi |
द्विगुणम् | द्विगुण | pos=a,g=n,c=2,n=s |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आप्नुयात् | आप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |