महाभारतम् — 12.157.5
Original
Segmented
एभ्यः प्रवर्तते दुःखम् एभ्यः पापम् प्रवर्तते इति मर्त्यो विजानीयात् सततम् भरत-ऋषभ
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
एभ्यः | इदम् | pos=n,g=n,c=5,n=p |
प्रवर्तते | प्रवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
दुःखम् | दुःख | pos=n,g=n,c=1,n=s |
एभ्यः | इदम् | pos=n,g=n,c=5,n=p |
पापम् | पाप | pos=n,g=n,c=1,n=s |
प्रवर्तते | प्रवृत् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
इति | इति | pos=i |
मर्त्यो | मर्त्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विजानीयात् | विज्ञा | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
सततम् | सततम् | pos=i |
भरत | भरत | pos=n,comp=y |
ऋषभ | ऋषभ | pos=n,g=m,c=8,n=s |