महाभारतम् — 12.136.17
Original
Segmented
यः तु अमित्रेन संधत्ते मित्रेण च विरुध्यते अर्थ-युक्तिम् समालोक्य सु महत् विन्दते फलम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तु | तु | pos=i |
अमित्रेन | अमित्र | pos=n,g=m,c=3,n=s |
संधत्ते | संधा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मित्रेण | मित्र | pos=n,g=m,c=3,n=s |
च | च | pos=i |
विरुध्यते | विरुध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
युक्तिम् | युक्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
समालोक्य | समालोकय् | pos=vi |
सु | सु | pos=i |
महत् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
विन्दते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |