महाभारतम् — 12.127.3
Original
Segmented
पारियात्र-गिरिम् प्राप्य गौतमस्य आश्रमः महान् उवास गौतमो यत्र कालम् तद् अपि मे शृणु
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
पारियात्र | पारियात्र | pos=n,comp=y |
गिरिम् | गिरि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
प्राप्य | प्राप् | pos=vi |
गौतमस्य | गौतम | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आश्रमः | आश्रम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
महान् | महत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
उवास | वस् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
गौतमो | गौतम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यत्र | यत्र | pos=i |
कालम् | काल | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तद् | तद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
शृणु | श्रु | pos=v,p=2,n=s,l=lot |