महाभारतम् — 12.121.9
Original
Segmented
धर्मस्य आख्या महा-राज व्यवहार इति इष्यते तस्य लोपः कथम् न स्याल् लोकेषु अवहित-आत्मनः इति अर्थम् व्यवहारस्य व्यवहार-त्वम् इष्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
धर्मस्य | धर्म | pos=n,g=m,c=6,n=s |
आख्या | आख्या | pos=n,g=f,c=1,n=s |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
राज | राज | pos=n,g=m,c=8,n=s |
व्यवहार | व्यवहार | pos=n,g=m,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
इष्यते | इष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
लोपः | लोप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कथम् | कथम् | pos=i |
न | न | pos=i |
स्याल् | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
लोकेषु | लोक | pos=n,g=m,c=7,n=p |
अवहित | अवधा | pos=va,comp=y,f=part |
आत्मनः | आत्मन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
इति | इति | pos=i |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
व्यवहारस्य | व्यवहार | pos=n,g=m,c=6,n=s |
व्यवहार | व्यवहार | pos=n,comp=y |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इष्यते | इष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |