Original

संगृहीतजनोऽस्तब्धः प्रसन्नवदनः सदा ।दाता भृत्यजनावेक्षी न क्रोधी सुमहामनाः ॥ २१ ॥

Segmented

संगृहीत-जनः ऽस्तब्धः प्रसन्न-वदनः सदा दाता भृत्य-जन-अवेक्षी न क्रोधी सु महा-मनाः

Analysis

Word Lemma Parse
संगृहीत संग्रह् pos=va,comp=y,f=part
जनः जन pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽस्तब्धः अस्तब्ध pos=a,g=m,c=1,n=s
प्रसन्न प्रसद् pos=va,comp=y,f=part
वदनः वदन pos=n,g=m,c=1,n=s
सदा सदा pos=i
दाता दातृ pos=a,g=m,c=1,n=s
भृत्य भृत्य pos=n,comp=y
जन जन pos=n,comp=y
अवेक्षी अवेक्षिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
pos=i
क्रोधी क्रोधिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
सु सु pos=i
महा महत् pos=a,comp=y
मनाः मनस् pos=n,g=m,c=1,n=s