महाभारतम् — 12.115.16
Original
Segmented
मनुष्य-शालावृकम् अप्रशान्तम् जन-अपवादे सततम् निविष्टम् मातङ्गम् उन्मत्तम् इव उन्नद् त्यजेत तम् श्वानम् इव अति रौद्रम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मनुष्य | मनुष्य | pos=n,comp=y |
शालावृकम् | शालावृक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अप्रशान्तम् | अप्रशान्त | pos=a,g=m,c=2,n=s |
जन | जन | pos=n,comp=y |
अपवादे | अपवाद | pos=n,g=m,c=7,n=s |
सततम् | सततम् | pos=i |
निविष्टम् | निविश् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
मातङ्गम् | मातंग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उन्मत्तम् | उन्मद् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
इव | इव | pos=i |
उन्नद् | उन्नद् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
त्यजेत | त्यज् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
श्वानम् | श्वन् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
इव | इव | pos=i |
अति | अति | pos=i |
रौद्रम् | रौद्र | pos=a,g=m,c=2,n=s |