Original

यथा लब्धोपपन्नार्थस्तथा कौसल्य रंस्यसे ।कच्चिच्छुद्धस्वभावेन श्रिया हीनो न शोचसि ॥ २९ ॥

Segmented

यथा लब्ध-उपपद्-अर्थः तथा कौसल्य रंस्यसे कच्चित् शुद्ध-स्वभावेन श्रिया हीनो न शोचसि

Analysis

Word Lemma Parse
यथा यथा pos=i
लब्ध लभ् pos=va,comp=y,f=part
उपपद् उपपद् pos=va,comp=y,f=part
अर्थः अर्थ pos=n,g=m,c=1,n=s
तथा तथा pos=i
कौसल्य कौसल्य pos=n,g=m,c=8,n=s
रंस्यसे रम् pos=v,p=2,n=s,l=lrt
कच्चित् कच्चित् pos=i
शुद्ध शुध् pos=va,comp=y,f=part
स्वभावेन स्वभाव pos=n,g=m,c=3,n=s
श्रिया श्री pos=n,g=f,c=3,n=s
हीनो हा pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
pos=i
शोचसि शुच् pos=v,p=2,n=s,l=lat