महाभारतम् — 10.8.84
Original
Segmented
विमुक्त-केशाः च अपि अन्ये न अभ्यजानन् परस्परम् उत्पतन्तः परे भीताः केचित् तत्र तथा अभ्रमन् पुरीषम् असृजन् केचित् केचिद् मूत्रम् प्रसुस्रुवुः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विमुक्त | विमुच् | pos=va,comp=y,f=part |
केशाः | केश | pos=n,g=m,c=1,n=p |
च | च | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
अन्ये | अन्य | pos=n,g=m,c=1,n=p |
न | न | pos=i |
अभ्यजानन् | अभिज्ञा | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
परस्परम् | परस्पर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उत्पतन्तः | उत्पत् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
परे | पर | pos=n,g=m,c=1,n=p |
भीताः | भी | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
केचित् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
तत्र | तत्र | pos=i |
तथा | तथा | pos=i |
अभ्रमन् | भ्रम् | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
पुरीषम् | पुरीष | pos=n,g=n,c=2,n=s |
असृजन् | सृज् | pos=v,p=3,n=p,l=lan |
केचित् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
केचिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
मूत्रम् | मूत्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
प्रसुस्रुवुः | प्रस्रु | pos=v,p=3,n=p,l=lit |