Original

धृतराष्ट्र उवाच ।द्वारदेशे ततो द्रौणिमवस्थितमवेक्ष्य तौ ।अकुर्वतां भोजकृपौ किं संजय वदस्व मे ॥ १ ॥

Segmented

धृतराष्ट्र उवाच द्वार-देशे ततो द्रौणिम् अवस्थितम् अवेक्ष्य तौ अकुर्वताम् भोज-कृपौ किम् संजय वदस्व मे

Analysis

Word Lemma Parse
धृतराष्ट्र धृतराष्ट्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
द्वार द्वार pos=n,comp=y
देशे देश pos=n,g=m,c=7,n=s
ततो ततस् pos=i
द्रौणिम् द्रौणि pos=n,g=m,c=2,n=s
अवस्थितम् अवस्था pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
अवेक्ष्य अवेक्ष् pos=vi
तौ तद् pos=n,g=m,c=1,n=d
अकुर्वताम् कृ pos=v,p=3,n=d,l=lan
भोज भोज pos=n,comp=y
कृपौ कृप pos=n,g=m,c=1,n=d
किम् pos=n,g=n,c=2,n=s
संजय संजय pos=n,g=m,c=8,n=s
वदस्व वद् pos=v,p=2,n=s,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s