Original

क्षत्रधर्मं विदित्वाहं यदि ब्राह्मण्यसंश्रितम् ।प्रकुर्यां सुमहत्कर्म न मे तत्साधु संमतम् ॥ २२ ॥

Segmented

क्षत्र-धर्मम् विदित्वा अहम् यदि ब्राह्मण्य-संश्रितम् प्रकुर्याम् सु महत् कर्म न मे तत् साधु संमतम्

Analysis

Word Lemma Parse
क्षत्र क्षत्र pos=n,comp=y
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
विदित्वा विद् pos=vi
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
यदि यदि pos=i
ब्राह्मण्य ब्राह्मण्य pos=n,comp=y
संश्रितम् संश्रि pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part
प्रकुर्याम् प्रकृ pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin
सु सु pos=i
महत् महत् pos=a,g=n,c=2,n=s
कर्म कर्मन् pos=n,g=n,c=2,n=s
pos=i
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
तत् तद् pos=n,g=n,c=1,n=s
साधु साधु pos=a,g=n,c=1,n=s
संमतम् सम्मन् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part