महाभारतम् — 10.16.10
Original
Segmented
तस्मात् त्वम् अस्य पापस्य कर्मणः फलम् आप्नुहि त्रीणि वर्ष-सहस्राणि चरिष्यसि महीम् इमाम् अ प्राप्नुवन् क्वचित् कांचित् संविदम् जातु केनचित्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तस्मात् | तस्मात् | pos=i |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
अस्य | इदम् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
पापस्य | पाप | pos=a,g=n,c=6,n=s |
कर्मणः | कर्मन् | pos=n,g=n,c=6,n=s |
फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आप्नुहि | आप् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
त्रीणि | त्रि | pos=n,g=n,c=2,n=p |
वर्ष | वर्ष | pos=n,comp=y |
सहस्राणि | सहस्र | pos=n,g=n,c=2,n=p |
चरिष्यसि | चर् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
महीम् | मही | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इमाम् | इदम् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अ | अ | pos=i |
प्राप्नुवन् | प्राप् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
क्वचित् | क्वचिद् | pos=i |
कांचित् | कश्चित् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
संविदम् | संविद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
जातु | जातु | pos=i |
केनचित् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=3,n=s |