Original

शुक्र उवाच ।संक्रामयिष्यसि जरां यथेष्टं नहुषात्मज ।मामनुध्याय भावेन न च पापमवाप्स्यसि ॥ ४० ॥

Segmented

शुक्र उवाच संक्रामयिष्यसि जराम् यथेष्टम् नहुषात्मज माम् अनुध्याय भावेन न च पापम् अवाप्स्यसि

Analysis

Word Lemma Parse
शुक्र शुक्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
संक्रामयिष्यसि संक्रामय् pos=v,p=2,n=s,l=lrt
जराम् जरा pos=n,g=f,c=2,n=s
यथेष्टम् यथेष्ट pos=a,g=n,c=2,n=s
नहुषात्मज नहुषात्मज pos=n,g=m,c=8,n=s
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
अनुध्याय अनुध्या pos=vi
भावेन भाव pos=n,g=m,c=3,n=s
pos=i
pos=i
पापम् पाप pos=n,g=n,c=2,n=s
अवाप्स्यसि अवाप् pos=v,p=2,n=s,l=lrt