Original

शुक्र उवाच ।नाहं मृषा ब्रवीम्येतज्जरां प्राप्तोऽसि भूमिप ।जरां त्वेतां त्वमन्यस्मै संक्रामय यदीच्छसि ॥ ३८ ॥

Segmented

शुक्र उवाच न अहम् मृषा ब्रवीमि एतत् जराम् प्राप्तो ऽसि भूमिप जराम् तु एताम् त्वम् अन्यस्मै संक्रामय यदि इच्छसि

Analysis

Word Lemma Parse
शुक्र शुक्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
pos=i
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
मृषा मृषा pos=i
ब्रवीमि ब्रू pos=v,p=1,n=s,l=lat
एतत् एतद् pos=n,g=n,c=2,n=s
जराम् जरा pos=n,g=f,c=2,n=s
प्राप्तो प्राप् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ऽसि अस् pos=v,p=2,n=s,l=lat
भूमिप भूमिप pos=n,g=m,c=8,n=s
जराम् जरा pos=n,g=f,c=2,n=s
तु तु pos=i
एताम् एतद् pos=n,g=f,c=2,n=s
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
अन्यस्मै अन्य pos=n,g=m,c=4,n=s
संक्रामय संक्रामय् pos=v,p=2,n=s,l=lot
यदि यदि pos=i
इच्छसि इष् pos=v,p=2,n=s,l=lat