Original

जिगीषया ततो देवा वव्रिरेऽऽङ्गिरसं मुनिम् ।पौरोहित्येन याज्यार्थे काव्यं तूशनसं परे ।ब्राह्मणौ तावुभौ नित्यमन्योन्यस्पर्धिनौ भृशम् ॥ ६ ॥

Segmented

पौरोहित्येन याज्य-अर्थे काव्यम् तु उशनसम् परे ब्राह्मणौ तौ उभौ नित्यम् अन्योन्य-स्पर्धिनः भृशम्

Analysis

Word Lemma Parse
पौरोहित्येन पौरोहित्य pos=n,g=n,c=3,n=s
याज्य याज्य pos=n,comp=y
अर्थे अर्थ pos=n,g=m,c=7,n=s
काव्यम् काव्य pos=n,g=m,c=2,n=s
तु तु pos=i
उशनसम् उशनस् pos=n,g=m,c=2,n=s
परे पर pos=n,g=m,c=1,n=p
ब्राह्मणौ ब्राह्मण pos=n,g=m,c=1,n=d
तौ तद् pos=n,g=m,c=1,n=d
उभौ उभ् pos=n,g=m,c=1,n=d
नित्यम् नित्यम् pos=i
अन्योन्य अन्योन्य pos=n,comp=y
स्पर्धिनः स्पर्धिन् pos=a,g=m,c=1,n=d
भृशम् भृशम् pos=i