महाभारतम् — 1.71.14
Original
Segmented
त्वम् आराधयितुम् शक्तो न अन्यः कश्चन विद्यते शील-दाक्षिण्य-माधुर्यैः आचारेण दमेन च देवयान्याम् हि तुष्टायाम् विद्याम् ताम् प्राप्स्यसि ध्रुवम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
आराधयितुम् | आराधय् | pos=vi |
शक्तो | शक् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
न | न | pos=i |
अन्यः | अन्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कश्चन | कश्चन | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विद्यते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
शील | शील | pos=n,comp=y |
दाक्षिण्य | दाक्षिण्य | pos=n,comp=y |
माधुर्यैः | माधुर्य | pos=n,g=n,c=3,n=p |
आचारेण | आचार | pos=n,g=m,c=3,n=s |
दमेन | दम | pos=n,g=m,c=3,n=s |
च | च | pos=i |
देवयान्याम् | देवयानी | pos=n,g=f,c=7,n=s |
हि | हि | pos=i |
तुष्टायाम् | तुष् | pos=va,g=f,c=7,n=s,f=part |
विद्याम् | विद्या | pos=n,g=f,c=2,n=s |
ताम् | तद् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
प्राप्स्यसि | प्राप् | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
ध्रुवम् | ध्रुवम् | pos=i |