Original

शुश्रूषार्थं पितुर्नावं तां तु वाहयतीं जले ।तीर्थयात्रां परिक्रामन्नपश्यद्वै पराशरः ॥ ५६ ॥

Segmented

शुश्रूषा-अर्थम् पितुः नावम् ताम् तु वाहयतीम् जले तीर्थ-यात्राम् परिक्रामन्न् अपश्यद् वै पराशरः

Analysis

Word Lemma Parse
शुश्रूषा शुश्रूषा pos=n,comp=y
अर्थम् अर्थ pos=n,g=m,c=2,n=s
पितुः पितृ pos=n,g=m,c=6,n=s
नावम् नौ pos=n,g=,c=2,n=s
ताम् तद् pos=n,g=f,c=2,n=s
तु तु pos=i
वाहयतीम् वाहय् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
जले जल pos=n,g=n,c=7,n=s
तीर्थ तीर्थ pos=n,comp=y
यात्राम् यात्रा pos=n,g=f,c=2,n=s
परिक्रामन्न् परिक्रम् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
अपश्यद् पश् pos=v,p=3,n=s,l=lan
वै वै pos=i
पराशरः पराशर pos=n,g=m,c=1,n=s