Original

इन्द्र उवाच ।न संकीर्येत धर्मोऽयं पृथिव्यां पृथिवीपते ।तं पाहि धर्मो हि धृतः कृत्स्नं धारयते जगत् ॥ ५ ॥

Segmented

इन्द्र उवाच न संकीर्येत धर्मो ऽयम् पृथिव्याम् पृथिवीपते तम् पाहि धर्मो हि धृतः कृत्स्नम् धारयते जगत्

Analysis

Word Lemma Parse
इन्द्र इन्द्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
pos=i
संकीर्येत संकृ pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin
धर्मो धर्म pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽयम् इदम् pos=n,g=m,c=1,n=s
पृथिव्याम् पृथिवी pos=n,g=f,c=7,n=s
पृथिवीपते पृथिवीपति pos=n,g=m,c=8,n=s
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
पाहि पा pos=v,p=2,n=s,l=lot
धर्मो धर्म pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
धृतः धृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
कृत्स्नम् कृत्स्न pos=a,g=n,c=2,n=s
धारयते धारय् pos=v,p=3,n=s,l=lat
जगत् जगन्त् pos=n,g=n,c=2,n=s