Original

स पितॄणां नियोगं तमव्यतिक्रम्य पार्थिवः ।चचार मृगयां कामी गिरिकामेव संस्मरन् ।अतीव रूपसंपन्नां साक्षाच्छ्रियमिवापराम् ॥ ३८ ॥

Segmented

स पितॄणाम् नियोगम् तम् अव्यतिक्रम्य पार्थिवः चचार मृगयाम् कामी गिरिकाम् एव संस्मरन् अतीव रूप-सम्पन्नाम् साक्षात् श्रियम् इव अपराम्

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
पितॄणाम् पितृ pos=n,g=m,c=6,n=p
नियोगम् नियोग pos=n,g=m,c=2,n=s
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
अव्यतिक्रम्य अव्यतिक्रम्य pos=i
पार्थिवः पार्थिव pos=n,g=m,c=1,n=s
चचार चर् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मृगयाम् मृगया pos=n,g=f,c=2,n=s
कामी कामिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
गिरिकाम् गिरिका pos=n,g=f,c=2,n=s
एव एव pos=i
संस्मरन् संस्मृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
अतीव अतीव pos=i
रूप रूप pos=n,comp=y
सम्पन्नाम् सम्पद् pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
साक्षात् साक्षात् pos=i
श्रियम् श्री pos=n,g=f,c=2,n=s
इव इव pos=i
अपराम् अपर pos=n,g=f,c=2,n=s