Original

भो भो ब्रह्मन्नहं राजा परिक्षिदभिमन्युजः ।मया विद्धो मृगो नष्टः कच्चित्त्वं दृष्टवानसि ॥ १७ ॥

Segmented

भो भो ब्रह्मन्न् अहम् राजा परिक्षिद् अभिमन्यु-जः मया विद्धो मृगो नष्टः कच्चित् त्वम् दृष्टवान् असि

Analysis

Word Lemma Parse
भो भो pos=i
भो भो pos=i
ब्रह्मन्न् ब्रह्मन् pos=n,g=m,c=8,n=s
अहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
राजा राजन् pos=n,g=m,c=1,n=s
परिक्षिद् परिक्षित् pos=n,g=m,c=1,n=s
अभिमन्यु अभिमन्यु pos=n,comp=y
जः pos=a,g=m,c=1,n=s
मया मद् pos=n,g=,c=3,n=s
विद्धो व्यध् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
मृगो मृग pos=n,g=m,c=1,n=s
नष्टः नश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
कच्चित् कश्चित् pos=n,g=n,c=2,n=s
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
दृष्टवान् दृश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
असि अस् pos=v,p=2,n=s,l=lat