महाभारतम् — 1.3.84
Original
Segmented
स शिष्यान् न किंचिद् उवाच कर्म वा क्रियताम् गुरु-शुश्रूषा वा इति दुःख-अभिज्ञः हि गुरु-कुल-वासस्य शिष्यान् परिक्लेशेन योजयितुम् न इयेष
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
स | स | pos=i |
शिष्यान् | शिष्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
न | न | pos=i |
किंचिद् | कश्चित् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
कर्म | कर्मन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
वा | वा | pos=i |
क्रियताम् | कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
गुरु | गुरु | pos=n,comp=y |
शुश्रूषा | शुश्रूषा | pos=n,g=f,c=1,n=s |
वा | वा | pos=i |
इति | इति | pos=i |
दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
अभिज्ञः | अभिज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
गुरु | गुरु | pos=n,comp=y |
कुल | कुल | pos=n,comp=y |
वासस्य | वास | pos=n,g=m,c=6,n=s |
शिष्यान् | शिष्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
परिक्लेशेन | परिक्लेश | pos=n,g=m,c=3,n=s |
योजयितुम् | योजय् | pos=vi |
न | न | pos=i |
इयेष | इष् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |