Original

आश्रित्य धर्मराजानं सर्वलोकोऽवसत्सुखम् ।पुण्यलक्षणकर्माणं स्वदेहमिव देहिनः ॥ २ ॥

Segmented

आश्रित्य धर्मराजानम् सर्व-लोकः ऽवसत् सुखम् पुण्य-लक्षण-कर्माणम् स्व-देहम् इव देहिनः

Analysis

Word Lemma Parse
आश्रित्य आश्रि pos=vi
धर्मराजानम् धर्मराजन् pos=n,g=m,c=2,n=s
सर्व सर्व pos=n,comp=y
लोकः लोक pos=n,g=m,c=1,n=s
ऽवसत् वस् pos=v,p=3,n=s,l=lan
सुखम् सुख pos=a,g=n,c=2,n=s
पुण्य पुण्य pos=a,comp=y
लक्षण लक्षण pos=n,comp=y
कर्माणम् कर्मन् pos=n,g=m,c=2,n=s
स्व स्व pos=a,comp=y
देहम् देह pos=n,g=m,c=2,n=s
इव इव pos=i
देहिनः देहिन् pos=n,g=m,c=1,n=p