Original

तत्र तस्याद्भुतं कर्म शृणु मे जनमेजय ।कृतवान्यद्विशुद्धात्मा पाण्डूनां प्रवरो रथी ॥ ७ ॥

Segmented

तत्र तस्य अद्भुतम् कर्म शृणु मे जनमेजय कृतवान् यद् विशुद्ध-आत्मा पाण्डूनाम् प्रवरो रथी

Analysis

Word Lemma Parse
तत्र तत्र pos=i
तस्य तद् pos=n,g=m,c=6,n=s
अद्भुतम् अद्भुत pos=a,g=n,c=2,n=s
कर्म कर्मन् pos=n,g=n,c=2,n=s
शृणु श्रु pos=v,p=2,n=s,l=lot
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
जनमेजय जनमेजय pos=n,g=m,c=8,n=s
कृतवान् कृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
यद् यद् pos=n,g=n,c=2,n=s
विशुद्ध विशुध् pos=va,comp=y,f=part
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
पाण्डूनाम् पाण्डु pos=n,g=m,c=6,n=p
प्रवरो प्रवर pos=a,g=m,c=1,n=s
रथी रथिन् pos=n,g=m,c=1,n=s