महाभारतम् — 1.202.1
Original
Segmented
नारद उवाच उत्सवे वृत्-मात्रे तु त्रैलोक्य-आकाङ्क्षिनः उभौ मन्त्रयित्वा ततः सेनाम् तौ आज्ञापयताम् तदा
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
नारद | नारद | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
उत्सवे | उत्सव | pos=n,g=m,c=7,n=s |
वृत् | वृत् | pos=va,comp=y,f=part |
मात्रे | मात्र | pos=n,g=m,c=7,n=s |
तु | तु | pos=i |
त्रैलोक्य | त्रैलोक्य | pos=n,comp=y |
आकाङ्क्षिनः | आकाङ्क्षिन् | pos=a,g=m,c=1,n=d |
उभौ | उभ् | pos=n,g=m,c=1,n=d |
मन्त्रयित्वा | मन्त्रय् | pos=vi |
ततः | ततस् | pos=i |
सेनाम् | सेना | pos=n,g=f,c=2,n=s |
तौ | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=d |
आज्ञापयताम् | आज्ञापय् | pos=v,p=3,n=d,l=lan |
तदा | तदा | pos=i |