महाभारतम् — 1.173.8
Original
Segmented
स कदाचित् क्षुधा-आविष्टः मृगयन् भक्षम् आत्मनः ददर्श सु परिक्लिष्टः कस्मिंश्चिद् वन-निर्झरे ब्राह्मणीम् ब्राह्मणम् च एव मैथुनाय उपसंगतौ
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
कदाचित् | कदाचिद् | pos=i |
क्षुधा | क्षुधा | pos=n,comp=y |
आविष्टः | आविश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
मृगयन् | मृगय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
भक्षम् | भक्ष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
आत्मनः | आत्मन् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
ददर्श | दृश् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
सु | सु | pos=i |
परिक्लिष्टः | परिक्लिश् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
कस्मिंश्चिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
वन | वन | pos=n,comp=y |
निर्झरे | निर्झर | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ब्राह्मणीम् | ब्राह्मणी | pos=n,g=f,c=2,n=s |
ब्राह्मणम् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
मैथुनाय | मैथुन | pos=n,g=n,c=4,n=s |
उपसंगतौ | उपसंगम् | pos=va,g=m,c=2,n=d,f=part |