Original

स कदाचिदथो राजा श्रीमानुरुयशा भुवि ।चचार मृगयां पार्थ पर्वतोपवने किल ॥ २१ ॥

Segmented

स कदाचिद् अथो राजा श्रीमान् उरु-यशाः भुवि चचार मृगयाम् पार्थ पर्वत-उपवने किल

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
कदाचिद् कदाचिद् pos=i
अथो अथो pos=i
राजा राजन् pos=n,g=m,c=1,n=s
श्रीमान् श्रीमत् pos=a,g=m,c=1,n=s
उरु उरु pos=a,comp=y
यशाः यशस् pos=n,g=m,c=1,n=s
भुवि भू pos=n,g=f,c=7,n=s
चचार चर् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मृगयाम् मृगया pos=n,g=f,c=2,n=s
पार्थ पार्थ pos=n,g=m,c=8,n=s
पर्वत पर्वत pos=n,comp=y
उपवने उपवन pos=n,g=n,c=7,n=s
किल किल pos=i