Original

द्रुपद उवाच ।अकृतेयं तव प्रज्ञा ब्रह्मन्नातिसमञ्जसी ।यन्मां ब्रवीषि प्रसभं सखा तेऽहमिति द्विज ॥ २ ॥

Segmented

द्रुपद उवाच अकृता इयम् तव प्रज्ञा ब्रह्मन् न अतिसमञ्जसा यन् माम् ब्रवीषि प्रसभम् सखा ते ऽहम् इति द्विज

Analysis

Word Lemma Parse
द्रुपद द्रुपद pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
अकृता अकृत pos=a,g=f,c=1,n=s
इयम् इदम् pos=n,g=f,c=1,n=s
तव त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s
प्रज्ञा प्रज्ञा pos=n,g=f,c=1,n=s
ब्रह्मन् ब्रह्मन् pos=n,g=m,c=8,n=s
pos=i
अतिसमञ्जसा अतिसमञ्जस pos=a,g=f,c=1,n=s
यन् यत् pos=i
माम् मद् pos=n,g=,c=2,n=s
ब्रवीषि ब्रू pos=v,p=2,n=s,l=lat
प्रसभम् प्रसभम् pos=i
सखा सखि pos=n,g=,c=1,n=s
ते त्वद् pos=n,g=,c=6,n=s
ऽहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
इति इति pos=i
द्विज द्विज pos=n,g=m,c=8,n=s