Original

प्रहृष्टमनसं तत्र विहरन्तं यथामरम् ।तं माद्र्यनुजगामैका वसनं बिभ्रती शुभम् ॥ ५ ॥

Segmented

प्रहृः-मनसम् तत्र विहरन्तम् यथा अमरम् तम् माद्री अनुजगाम एका वसनम् बिभ्रती शुभम्

Analysis

Word Lemma Parse
प्रहृः प्रहृष् pos=va,comp=y,f=part
मनसम् मनस् pos=n,g=m,c=2,n=s
तत्र तत्र pos=i
विहरन्तम् विहृ pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
यथा यथा pos=i
अमरम् अमर pos=n,g=m,c=2,n=s
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
माद्री माद्री pos=n,g=f,c=1,n=s
अनुजगाम अनुगम् pos=v,p=3,n=s,l=lit
एका एक pos=n,g=f,c=1,n=s
वसनम् वसन pos=n,g=n,c=2,n=s
बिभ्रती भृ pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part
शुभम् शुभ pos=a,g=n,c=2,n=s