कुमारसम्भवम् — 4.26
Original
Segmented
तम् अवेक्ष्य रुरोद सा भृशम् स्तन-सम्बाधम् उरो जघान च स्व-जनस्य हि दुःखम् अग्रतो विवृत-द्वारम् इव उपजायते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अवेक्ष्य | अवेक्ष् | pos=vi |
रुरोद | रुद् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
सा | तद् | pos=n,g=f,c=1,n=s |
भृशम् | भृशम् | pos=i |
स्तन | स्तन | pos=n,comp=y |
सम्बाधम् | सम्बाध | pos=n,g=n,c=2,n=s |
उरो | उरस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
जघान | हन् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
च | च | pos=i |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
जनस्य | जन | pos=n,g=m,c=6,n=s |
हि | हि | pos=i |
दुःखम् | दुःख | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अग्रतो | अग्रतस् | pos=i |
विवृत | विवृ | pos=va,comp=y,f=part |
द्वारम् | द्वार | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इव | इव | pos=i |
उपजायते | उपजन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |