कुमारसम्भवम् — 4.20
Original
Segmented
अहम् एत्य पतङ्ग-वर्त्मना पुनः अङ्क-आश्रयिन् भवामि ते चतुरैः सुर-कामिनी-जनैः प्रिय यावन् न विलोभ्यसे दिवि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
एत्य | ए | pos=vi |
पतङ्ग | पतंग | pos=n,comp=y |
वर्त्मना | वर्त्मन् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
अङ्क | अङ्क | pos=n,comp=y |
आश्रयिन् | आश्रयिन् | pos=a,g=f,c=1,n=s |
भवामि | भू | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
चतुरैः | चतुर | pos=a,g=m,c=3,n=p |
सुर | सुर | pos=n,comp=y |
कामिनी | कामिनी | pos=n,comp=y |
जनैः | जन | pos=n,g=m,c=3,n=p |
प्रिय | प्रिय | pos=a,g=m,c=8,n=s |
यावन् | यावत् | pos=i |
न | न | pos=i |
विलोभ्यसे | विलोभय् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
दिवि | दिव् | pos=n,g=,c=7,n=s |