कुमारसम्भवम् — 1.14
Original
Segmented
यत्र अंशुक-आक्षेप-विलज्जितानाम् यदृच्छया किम्पुरुष-अङ्गनानाम् दरी-गृह-द्वार-विलम्बिन्-बिम्ब तिरस्करिण्यो जलदा भवन्ति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
यत्र | यत्र | pos=i |
अंशुक | अंशुक | pos=n,comp=y |
आक्षेप | आक्षेप | pos=n,comp=y |
विलज्जितानाम् | विलज्ज् | pos=va,g=f,c=6,n=p,f=part |
यदृच्छया | यदृच्छा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
किम्पुरुष | किम्पुरुष | pos=n,comp=y |
अङ्गनानाम् | अङ्गना | pos=n,g=f,c=6,n=p |
दरी | दरी | pos=n,comp=y |
गृह | गृह | pos=n,comp=y |
द्वार | द्वार | pos=n,comp=y |
विलम्बिन् | विलम्बिन् | pos=a,comp=y |
बिम्ब | बिम्ब | pos=n,g=f,c=1,n=p |
तिरस्करिण्यो | तिरस्करिणी | pos=n,g=f,c=1,n=p |
जलदा | जलद | pos=n,g=m,c=1,n=p |
भवन्ति | भू | pos=v,p=3,n=p,l=lat |