कुमारसम्भवम् — 1.11
Original
Segmented
उद्वेजयत्य् अङ्गुलि-पार्ष्णि-भागान् मार्गे शिलीभूत-हिमे ऽपि यत्र न दुर्वह-श्रोणि-पयोधर-आर्त भिन्दन्ति मन्दाम् गतिम् अश्वमुख्यः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
उद्वेजयत्य् | उद्वेजय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अङ्गुलि | अङ्गुलि | pos=n,comp=y |
पार्ष्णि | पार्ष्णि | pos=n,comp=y |
भागान् | भाग | pos=n,g=m,c=2,n=p |
मार्गे | मार्ग | pos=n,g=m,c=7,n=s |
शिलीभूत | शिलीभूत | pos=a,comp=y |
हिमे | हिम | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽपि | अपि | pos=i |
यत्र | यत्र | pos=i |
न | न | pos=i |
दुर्वह | दुर्वह | pos=a,comp=y |
श्रोणि | श्रोणि | pos=n,comp=y |
पयोधर | पयोधर | pos=n,comp=y |
आर्त | आर्त | pos=a,g=f,c=1,n=p |
भिन्दन्ति | भिद् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
मन्दाम् | मन्द | pos=a,g=f,c=2,n=s |
गतिम् | गति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अश्वमुख्यः | अश्वमुखी | pos=n,g=f,c=1,n=p |