कोकिलसंदेशः — 1.59
Original
Segmented
प्राप्त-उन्मेषे प्रथम-शिखरि-प्रस्थ-दाव-अग्नि-कल्पे बाल-अशोक-स्तबक-रुचिरे भानवीये मयूखे प्रस्थातुम् त्वम् पुनः अपि सखे प्रक्रमेथाः प्रभाते स्व-आत्म-क्लेशः सुहृद्-उपकृतौ त्वादृशानाम् सुखाय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्राप्त | प्राप् | pos=va,comp=y,f=part |
उन्मेषे | उन्मेष | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्रथम | प्रथम | pos=a,comp=y |
शिखरि | शिखरिन् | pos=n,comp=y |
प्रस्थ | प्रस्थ | pos=n,comp=y |
दाव | दाव | pos=n,comp=y |
अग्नि | अग्नि | pos=n,comp=y |
कल्पे | कल्प | pos=a,g=m,c=7,n=s |
बाल | बाल | pos=a,comp=y |
अशोक | अशोक | pos=n,comp=y |
स्तबक | स्तबक | pos=n,comp=y |
रुचिरे | रुचिर | pos=a,g=m,c=7,n=s |
भानवीये | भानवीय | pos=a,g=m,c=7,n=s |
मयूखे | मयूख | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्रस्थातुम् | प्रस्था | pos=vi |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
अपि | अपि | pos=i |
सखे | सखि | pos=n,g=,c=8,n=s |
प्रक्रमेथाः | प्रक्रम् | pos=v,p=2,n=s,l=vidhilin |
प्रभाते | प्रभात | pos=n,g=n,c=7,n=s |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
क्लेशः | क्लेश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सुहृद् | सुहृद् | pos=n,comp=y |
उपकृतौ | उपकृति | pos=n,g=f,c=7,n=s |
त्वादृशानाम् | त्वादृश | pos=a,g=m,c=6,n=p |
सुखाय | सुख | pos=n,g=n,c=4,n=s |