कोकिलसंदेशः — 1.20
Original
Segmented
स्पष्ट-आलक्षय् त्वे पिक समालम्बमाने अम्बर-अन्तम् काञ्ची-देशः किम् अपि वसुधाम् भूषयन् गौरवेण तद्-सौन्दर्य-अपहृत-हृदयः मा विलम्बस्व गन्तुम् बन्धु-त्राणात् बहु-मति-पदम् न अपरम् त्वद्विधानाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
स्पष्ट | स्पष्ट | pos=a,comp=y |
आलक्षय् | आलक्षय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya |
त्वे | त्वद् | pos=n,g=,c=7,n=s |
पिक | पिक | pos=n,g=m,c=8,n=s |
समालम्बमाने | समालम्ब् | pos=va,g=m,c=7,n=s,f=part |
अम्बर | अम्बर | pos=n,comp=y |
अन्तम् | अन्त | pos=n,g=m,c=2,n=s |
काञ्ची | काञ्ची | pos=n,comp=y |
देशः | देश | pos=n,g=m,c=1,n=s |
किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
वसुधाम् | वसुधा | pos=n,g=f,c=2,n=s |
भूषयन् | भूषय् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
गौरवेण | गौरव | pos=n,g=n,c=3,n=s |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
सौन्दर्य | सौन्दर्य | pos=n,comp=y |
अपहृत | अपहृ | pos=va,comp=y,f=part |
हृदयः | हृदय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मा | मा | pos=i |
विलम्बस्व | विलम्ब् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
गन्तुम् | गम् | pos=vi |
बन्धु | बन्धु | pos=n,comp=y |
त्राणात् | त्राण | pos=n,g=n,c=5,n=s |
बहु | बहु | pos=a,comp=y |
मति | मति | pos=n,comp=y |
पदम् | पद | pos=n,g=n,c=1,n=s |
न | न | pos=i |
अपरम् | अपर | pos=n,g=n,c=1,n=s |
त्वद्विधानाम् | त्वद्विध | pos=a,g=m,c=6,n=p |