किरातार्जुनीयम् — 9.10
Original
Segmented
प्राञ्जलाव् अपि जने नत-मूर्ध्नि प्रेम तद्-प्रवण-चेतसि हित्वा सन्ध्यया अनुविदधे विरमन्त्या चापलेन सु जन-इतर-मैत्री
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्राञ्जलाव् | प्राञ्जलि | pos=a,g=m,c=7,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
जने | जन | pos=n,g=m,c=7,n=s |
नत | नम् | pos=va,comp=y,f=part |
मूर्ध्नि | मूर्धन् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
प्रेम | प्रेमन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
तद् | तद् | pos=n,comp=y |
प्रवण | प्रवण | pos=a,comp=y |
चेतसि | चेतस् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
हित्वा | हा | pos=vi |
सन्ध्यया | संध्या | pos=n,g=f,c=3,n=s |
अनुविदधे | अनुविधा | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
विरमन्त्या | विरम् | pos=va,g=f,c=3,n=s,f=part |
चापलेन | चापल | pos=n,g=n,c=3,n=s |
सु | सु | pos=i |
जन | जन | pos=n,comp=y |
इतर | इतर | pos=n,comp=y |
मैत्री | मैत्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |