किरातार्जुनीयम् — 3.7
Original
Segmented
श्रियम् विकर्षत्य् अपहन्त्य् अघानि श्रेयः परिस्नौति तनोति कीर्तिम् संदर्शनम् लोकगुरोः अमोघम् अमोघम् ते आत्मयोनि इव किम् न धत्ते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
श्रियम् | श्री | pos=n,g=f,c=2,n=s |
विकर्षत्य् | विकृष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अपहन्त्य् | अपहन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अघानि | अघ | pos=n,g=n,c=2,n=p |
श्रेयः | श्रेयस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
परिस्नौति | परिस्नु | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तनोति | तन् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
कीर्तिम् | कीर्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
संदर्शनम् | संदर्शन | pos=n,g=n,c=1,n=s |
लोकगुरोः | लोकगुरु | pos=n,g=m,c=6,n=s |
अमोघम् | अमोघ | pos=a,g=n,c=1,n=s |
अमोघम् | अमोघ | pos=a,g=n,c=1,n=s |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
आत्मयोनि | आत्मयोनि | pos=n,g=m,c=6,n=s |
इव | इव | pos=i |
किम् | क | pos=n,g=n,c=2,n=s |
न | न | pos=i |
धत्ते | धा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |