Original

धैर्यावसादेन हृतप्रसादा वन्यद्विपेनेव निदाघसिन्धुः ।निरुद्धबाष्पोदयसन्नकण्ठम् उवाच कृच्छ्राद् इति राजपुत्री ॥

Segmented

धैर्य-अवसादेन हृत-प्रसादा वन्य-द्विपेन इव निदाघ-सिन्धुः निरुद्ध-बाष्प-उदय-सन्नकण्ठम् उवाच कृच्छ्राद् इति राज-पुत्री

Analysis

Word Lemma Parse
धैर्य धैर्य pos=n,comp=y
अवसादेन अवसाद pos=n,g=m,c=3,n=s
हृत हृ pos=va,comp=y,f=part
प्रसादा प्रसाद pos=n,g=f,c=1,n=s
वन्य वन्य pos=a,comp=y
द्विपेन द्विप pos=n,g=m,c=3,n=s
इव इव pos=i
निदाघ निदाघ pos=n,comp=y
सिन्धुः सिन्धु pos=n,g=f,c=1,n=s
निरुद्ध निरुध् pos=va,comp=y,f=part
बाष्प बाष्प pos=n,comp=y
उदय उदय pos=n,comp=y
सन्नकण्ठम् सन्नकण्ठ pos=a,g=n,c=2,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
कृच्छ्राद् कृच्छ्र pos=n,g=n,c=5,n=s
इति इति pos=i
राज राजन् pos=n,comp=y
पुत्री पुत्री pos=n,g=f,c=1,n=s