किरातार्जुनीयम् — 3.37
Original
Segmented
अकृत्रिम-प्रेम-रस-अभिरामम् राम-अर्पितम् दृष्टि-विलोभिन् दृष्टम् मनः-प्रसाद-अञ्जलिना निकामम् जग्राह पाथेयम् इव इन्द्रसूनुः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अकृत्रिम | अकृत्रिम | pos=a,comp=y |
प्रेम | प्रेमन् | pos=n,comp=y |
रस | रस | pos=n,comp=y |
अभिरामम् | अभिराम | pos=a,g=n,c=2,n=s |
राम | राम | pos=n,comp=y |
अर्पितम् | अर्पय् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
दृष्टि | दृष्टि | pos=n,comp=y |
विलोभिन् | विलोभिन् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
दृष्टम् | दृश् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
मनः | मनस् | pos=n,comp=y |
प्रसाद | प्रसाद | pos=n,comp=y |
अञ्जलिना | अञ्जलि | pos=n,g=m,c=3,n=s |
निकामम् | निकाम | pos=a,g=n,c=2,n=s |
जग्राह | ग्रह् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
पाथेयम् | पाथेय | pos=n,g=n,c=2,n=s |
इव | इव | pos=i |
इन्द्रसूनुः | इन्द्रसूनु | pos=n,g=m,c=1,n=s |