किरातार्जुनीयम् — 3.29
Original
Segmented
करिष्यसे यत्र सु दुश्चरानि प्रसत्तये गोत्रभिदस् तपांसि शिलोच्चयम् चारु-शिला-उच्चयम् तम् एष क्षणान् नेष्यति गुह्यकस् त्वाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
करिष्यसे | कृ | pos=v,p=2,n=s,l=lrt |
यत्र | यत्र | pos=i |
सु | सु | pos=i |
दुश्चरानि | दुश्चर | pos=a,g=n,c=2,n=p |
प्रसत्तये | प्रसत्ति | pos=n,g=f,c=4,n=s |
गोत्रभिदस् | गोत्रभिद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
तपांसि | तपस् | pos=n,g=n,c=2,n=p |
शिलोच्चयम् | शिलोच्चय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
चारु | चारु | pos=a,comp=y |
शिला | शिला | pos=n,comp=y |
उच्चयम् | उच्चय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तम् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=s |
एष | एतद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
क्षणान् | क्षण | pos=n,g=m,c=5,n=s |
नेष्यति | नी | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
गुह्यकस् | गुह्यक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
त्वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |