किरातार्जुनीयम् — 18.38
Original
Segmented
भवतः स्मरताम् सदा आसने जयिनि ब्रह्म-मये निषेदुषाम् दहते भव-बीज-संततिम् शिखिने अनेक-शिखाय ते नमः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
भवतः | भवत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
स्मरताम् | स्मृ | pos=v,p=3,n=d,l=lot |
सदा | सदा | pos=i |
आसने | आसन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
जयिनि | जयिन् | pos=a,g=n,c=7,n=s |
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,comp=y |
मये | मय | pos=a,g=n,c=7,n=s |
निषेदुषाम् | निषद् | pos=va,g=m,c=6,n=p,f=part |
दहते | दह् | pos=va,g=m,c=4,n=s,f=part |
भव | भव | pos=n,comp=y |
बीज | बीज | pos=n,comp=y |
संततिम् | संतति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
शिखिने | शिखिन् | pos=n,g=m,c=4,n=s |
अनेक | अनेक | pos=a,comp=y |
शिखाय | शिखा | pos=n,g=m,c=4,n=s |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
नमः | नमस् | pos=n,g=n,c=1,n=s |