किरातार्जुनीयम् — 18.35
Original
Segmented
त्वम् अन्तकः स्थावर-जङ्गमानाम् त्वया जगत् प्राणिति देव विश्वम् त्वम् योगिनाम् हेतु-फले रुणत्सि त्वम् कारणम् कारण-कारणानाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
अन्तकः | अन्तक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
स्थावर | स्थावर | pos=a,comp=y |
जङ्गमानाम् | जङ्गम | pos=a,g=m,c=6,n=p |
त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
जगत् | जगन्त् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
प्राणिति | प्राण् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
देव | देव | pos=n,g=m,c=8,n=s |
विश्वम् | विश्व | pos=n,g=n,c=1,n=s |
त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=1,n=s |
योगिनाम् | योगिन् | pos=n,g=m,c=6,n=p |
हेतु | हेतु | pos=n,comp=y |
फले | फल | pos=n,g=n,c=2,n=d |
रुणत्सि | रुध् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
कारणम् | कारण | pos=n,g=n,c=1,n=s |
कारण | कारण | pos=n,comp=y |
कारणानाम् | कारण | pos=n,g=n,c=6,n=p |