किरातार्जुनीयम् — 18.33
Original
Segmented
अविग्रहस्य अपि अतुलेन हेतुना समे-भिन्न-द्वय-मूर्ति तिष्ठतः ते एव न अन्यस्य जगत्सु दृश्यते विरुद्ध-वेष-आभरणस्य कान्त-ता
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अविग्रहस्य | अविग्रह | pos=a,g=m,c=6,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
अतुलेन | अतुल | pos=a,g=m,c=3,n=s |
हेतुना | हेतु | pos=n,g=m,c=3,n=s |
समे | समे | pos=va,comp=y,f=part |
भिन्न | भिद् | pos=va,comp=y,f=part |
द्वय | द्वय | pos=n,comp=y |
मूर्ति | मूर्ति | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तिष्ठतः | स्था | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
एव | एव | pos=i |
न | न | pos=i |
अन्यस्य | अन्य | pos=n,g=m,c=6,n=s |
जगत्सु | जगन्त् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
दृश्यते | दृश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
विरुद्ध | विरुध् | pos=va,comp=y,f=part |
वेष | वेष | pos=n,comp=y |
आभरणस्य | आभरण | pos=n,g=m,c=6,n=s |
कान्त | कान्त | pos=a,comp=y |
ता | ता | pos=n,g=f,c=1,n=s |