किरातार्जुनीयम् — 18.25
Original
Segmented
प्राप्यते यद् इह दूरम् अ गत्वा यत् फलत्य् अपर-लोक-गताय तीर्थम् अस्ति न भव-अर्णव-बाह्यम् सार्वकामिकम् ऋते भवतस् तत्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्राप्यते | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
यद् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
इह | इह | pos=i |
दूरम् | दूरम् | pos=i |
अ | अ | pos=i |
गत्वा | गम् | pos=vi |
यत् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
फलत्य् | फल् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अपर | अपर | pos=n,comp=y |
लोक | लोक | pos=n,comp=y |
गताय | गम् | pos=va,g=m,c=4,n=s,f=part |
तीर्थम् | तीर्थ | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अस्ति | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
न | न | pos=i |
भव | भव | pos=n,comp=y |
अर्णव | अर्णव | pos=n,comp=y |
बाह्यम् | बाह्य | pos=a,g=n,c=1,n=s |
सार्वकामिकम् | सार्वकामिक | pos=a,g=n,c=1,n=s |
ऋते | ऋते | pos=i |
भवतस् | भवत् | pos=a,g=m,c=6,n=s |
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |