किरातार्जुनीयम् — 18.20
Original
Segmented
मुदित-मधुलिह् वितानीकृताः स्रज उपरि वितत्य सातानिकीः जलद इव निषेदिवांसम् वृषे मरुत् उपसुखयांबभूव ईश्वरम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मुदित | मुद् | pos=va,comp=y,f=part |
मधुलिह् | मधुलिह् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
वितानीकृताः | वितानीकृ | pos=va,g=f,c=2,n=p,f=part |
स्रज | स्रज् | pos=n,g=f,c=2,n=p |
उपरि | उपरि | pos=i |
वितत्य | वितन् | pos=vi |
सातानिकीः | सातानिक | pos=a,g=f,c=2,n=p |
जलद | जलद | pos=n,g=m,c=7,n=s |
इव | इव | pos=i |
निषेदिवांसम् | निषद् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
वृषे | वृष | pos=n,g=m,c=7,n=s |
मरुत् | मरुत् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उपसुखयांबभूव | उपसुखय् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
ईश्वरम् | ईश्वर | pos=n,g=m,c=2,n=s |