किरातार्जुनीयम् — 14.62
Original
Segmented
जयेन कच्चिद् विरमेद् अयम् रणाद् भवेद् अपि स्वस्ति चराचराय वा तताप कीर्णा नृप-सूनु-मार्गणैः इति प्रतर्क-आकुलिता पताकिनी
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
जयेन | जय | pos=n,g=m,c=3,n=s |
कच्चिद् | कच्चित् | pos=i |
विरमेद् | विरम् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अयम् | इदम् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
रणाद् | रण | pos=n,g=m,c=5,n=s |
भवेद् | भू | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अपि | अपि | pos=i |
स्वस्ति | स्वस्ति | pos=n,g=n,c=1,n=s |
चराचराय | चराचर | pos=n,g=n,c=4,n=s |
वा | वा | pos=i |
तताप | तप् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
कीर्णा | कृ | pos=va,g=f,c=1,n=s,f=part |
नृप | नृप | pos=n,comp=y |
सूनु | सूनु | pos=n,comp=y |
मार्गणैः | मार्गण | pos=n,g=m,c=3,n=p |
इति | इति | pos=i |
प्रतर्क | प्रतर्क | pos=n,comp=y |
आकुलिता | आकुलित | pos=a,g=f,c=1,n=s |
पताकिनी | पताकिनी | pos=n,g=f,c=1,n=s |