किरातार्जुनीयम् — 13.57
Original
Segmented
तत् तदीय-विशिख-अतिसर्जनात् अस्तु वाम् गुरु यदृच्छया आगतम् राघव-प्लवग-राजयोः इव प्रेम युक्तम् इतरेतर-आश्रयम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
तत् | तद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तदीय | तदीय | pos=a,comp=y |
विशिख | विशिख | pos=n,comp=y |
अतिसर्जनात् | अतिसर्जन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
अस्तु | अस् | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
वाम् | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=d |
गुरु | गुरु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
यदृच्छया | यदृच्छा | pos=n,g=f,c=3,n=s |
आगतम् | आगम् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
राघव | राघव | pos=n,comp=y |
प्लवग | प्लवग | pos=n,comp=y |
राजयोः | राज | pos=n,g=m,c=6,n=d |
इव | इव | pos=i |
प्रेम | प्रेमन् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
युक्तम् | युज् | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
इतरेतर | इतरेतर | pos=n,comp=y |
आश्रयम् | आश्रय | pos=n,g=n,c=1,n=s |