किरातार्जुनीयम् — 13.15
Original
Segmented
अनुभाववता गुरु स्थिर-त्वात् अविसंवादि धनुः धनंजयेन स्व-बल-व्यसने ऽपि पीड्यमानम् गुणवन् मित्रम् इव आनतिम् प्रपेदे
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
अनुभाववता | अनुभाववत् | pos=a,g=m,c=3,n=s |
गुरु | गुरु | pos=a,g=n,c=2,n=s |
स्थिर | स्थिर | pos=a,comp=y |
त्वात् | त्व | pos=n,g=n,c=5,n=s |
अविसंवादि | अविसंवादिन् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
धनुः | धनुस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
धनंजयेन | धनंजय | pos=n,g=m,c=3,n=s |
स्व | स्व | pos=a,comp=y |
बल | बल | pos=n,comp=y |
व्यसने | व्यसन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ऽपि | अपि | pos=i |
पीड्यमानम् | पीडय् | pos=va,g=n,c=2,n=s,f=part |
गुणवन् | गुणवत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
मित्रम् | मित्र | pos=n,g=n,c=2,n=s |
इव | इव | pos=i |
आनतिम् | आनति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
प्रपेदे | प्रपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |