किरातार्जुनीयम् — 10.18
Original
Segmented
सपदि हरि-सखैः वधू-निदेशात् ध्वन्-मनोरम-वल्लकी-मृदङ्गैः युगपद् ऋतु-गणस्य संनिधानम् वियति वने च यथायथम् वितेने
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सपदि | सपदि | pos=i |
हरि | हरि | pos=n,comp=y |
सखैः | सख | pos=n,g=m,c=3,n=p |
वधू | वधू | pos=n,comp=y |
निदेशात् | निदेश | pos=n,g=m,c=5,n=s |
ध्वन् | ध्वन् | pos=va,comp=y,f=part |
मनोरम | मनोरम | pos=a,comp=y |
वल्लकी | वल्लकी | pos=n,comp=y |
मृदङ्गैः | मृदङ्ग | pos=n,g=m,c=3,n=p |
युगपद् | युगपद् | pos=i |
ऋतु | ऋतु | pos=n,comp=y |
गणस्य | गण | pos=n,g=m,c=6,n=s |
संनिधानम् | संनिधान | pos=n,g=n,c=2,n=s |
वियति | वियन्त् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
वने | वन | pos=n,g=n,c=7,n=s |
च | च | pos=i |
यथायथम् | यथायथम् | pos=i |
वितेने | वितन् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |